अब स्टील स्लैग से बनेंगे रनवे, देश की पहली स्‍टील स्लैग रोड की गुणवत्ता देख नीति आयोग ने की घोषणा

Source: News 18

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सूरत/नई दिल्ली. देश में अब स्टील स्लैग से रनवे बनाए जाएंगे. इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर एग्रीगेट बैलास्ट के रूप में भी इसका इस्तेमाल किए जाएगा. यह घोषणा नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत ने शुक्रवार को गुजरात के सूरत में की. वो सूरत के हजीरा में देश की पहली 100 फ़ीसदी स्टील स्लैग से बनी रोड की गुणवत्ता का निरीक्षण करने पहुंचे थे. साथ ही, उन्होंने नेशनल हाईवे निर्माण में भी इस तकनीक का इस्‍तेमाल करने की बात कही है. नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वीके सारस्‍वत ने कहा कि स्‍टील रोड सामान्‍य सड़कों के मुकाबले अधिक मजबूत है, इसलिए स्‍टील स्‍लैग का इस्तेमाल रनवे बनाने और रेलवे ट्रैक की गिट्टी में किया जाएगा.

नीति आयोग के निर्देश पर इस्‍पात मंत्रालय के सहयोग से सूरत के हजीरा में स्टील स्लैग रोड का निर्माण हुआ है. रिसर्च संस्थान CSIR-CRRI और AMNS इंडिया ने इस सड़क का निर्माण किया है. हजीरा पोर्ट की ओर जाने वाली यह रोड स्‍टील स्‍लैग (बचा हुआ चूरा) से बनी है. नीति आयोग के सदस्य डॉ. सारस्वत ने कहा, “इस तकनीक पर रिसर्च हो चुकी है, यानी 80 फ़ीसदी काम हो चुका है.अब इस तकनीक का और जगह इस्तेमाल किया जाएगा.

कई देशों से तकनीकी की मांग आ रही है
एयरपोर्ट पर रनवे और रेलवे में एग्रीगेट बैलास्ट के रूप में इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए वो जल्द ही नागरिक उड्डयन मंत्री और रेल मंत्री से बात करेंगे.” उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक की कई देशों से मांग आ रही है, जो इसका इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं. देश की पहली स्टील स्लैग रोड को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

अब एनएचएआई भी इस्‍तेमाल करेगा
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के प्रमुख साइंटिस्‍ट और स्‍लैग से बनी रोड प्रोजेक्‍ट के प्रमुख डॉ. सतीश पांडेय ने बताया कि स्‍लैग को प्‍लांट में प्रोसेस्‍ड पर उसे सड़क में इस्‍तेमाल करने लायक सामग्री में तब्‍दील किया गया है. इसके बाद इसे रोड निर्माण में इस्‍तेमाल किया जा रहा है. सूरत की यह रोड देश की पहली रोड है जो पूरी तरह से स्‍टील स्‍लैग से बनी है.

एनएचएआई भी अब सड़क निर्माण में स्‍टील स्‍लैग का इस्‍तेमाल करेगा. स्‍लैग रोड के निर्माण से सरकार द्वारा चलाए जा रहे वेस्‍ट टू वेल्थ और स्‍वच्‍छ भारत मिशन दोनों अभियानों को मदद मिल सकेगी. क्‍योंकि स्‍टील स्‍लैग का बेहतर इस्‍तेमाल न होने से कई जगह उसके पहाड़ खड़े हो गए हैं जो प्रकृति के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

ये होंगे 04 बड़े फायदे
(1) इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है. थिकनेस कम होने से कम लागत आयी है. इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है.

(2) सड़क निर्माण में स्‍टील स्‍लैग एएमएनएस इं‍डिया हजीरा ने उपलब्ध कराया है. कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संतोष मुंद्रा ने बताया कि देश में स्‍टील इंडस्‍ट्री से सालाना 20 मिलियन टन स्‍टील स्‍लैग निकलता है. 2030 तक देश में 300 मिलियन टन स्‍टील उत्पादन का लक्ष्‍य रखा गया है. इस तरह सालाना 45 मिलियन टन स्‍टील स्‍लैग निकलेगा. सड़क निर्माण में इस्‍तेमाल कर इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है.

(3) स्‍टील स्‍लैग रोड सामान्‍य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती है. सूरत में इस रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन रोज गुजर रहे हैं, पर रोड की क्‍वालिटी पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है.

(4) इस तरह की रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधन को बचाया जा सकता है. सामान्‍य रोड के निर्माण में पत्‍थर का इस्‍तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है. लेकिन स्‍टील स्‍लैग के इस्‍तेमाल से पत्‍थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी.